तउ किउ मुरगी मारै

Tau Kyon Murgi Maare? (Hindi)

by: Joginder Singh Talwara (Bhai)


  • ₹ 25.00 (INR)

  • ₹ 22.50 (INR)
  • Paperback
  • ISBN:
  • Edition(s): Aug-2016 / 2nd
  • Pages: 56
माँस खाने के संबंध में सारे संसार के समूह धर्मों के सदस्यों के विचारों में आपसी मतभेद हैं । कुछ माँस खाने के पक्ष में हैं और कुछ इसके विपक्ष में हैं । साधारण मनुष्य माँस खाने या न खाने के लिए स्वयं की दलील से काम लेते हैं । सिक्ख धर्म में भी दलील या मंतक की कदर-कीमत तो आवश्य है, पर अगर यह दलील गुरमति पर आधारित हो तो । किसी भी समस्या के समाधान के लिए हमारे पास पूर्ण भरोसे योग्य रचना गुरुवाणी है, जो गुरमति को सही रुप में निरुपण करती है । भिन्न भिन्न समस्यायों के लिए इतिहास से भी सेध मिलती है । खालसा रीति संबंधी रहितनामे विषेश रुप में मार्ग-दर्शन के श्रोत हैं, पर कठिनार्इ यह है कि उपलब्ध ऎतिहासिक ग्रंथों तथा रहितनामों में परस्पर विरोधी विचार बहुत हैं । इसलिए जहां किसी विषय पर गुरवाणी, इतिहास तथा रहितनामे, इन तीनों में आपसी विरोध पाया जाता हो तो निश्चय ही वहां गुरुवाणी में दिये गए आदेश को ही सही माना जा सकता है ।

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